Saturday, September 4, 2010

चौक च्यानणी भादूड़ो

जिस प्रकार लड़कियों का सिंजारा तीज पर मनाया जाता है उसी प्रकार अपने फतेहपुर में गणेश चतुर्थी को चौक च्यानणी  यानी लड़कों के सिंजारे के रूप में मनाया जाता था. भाद्रपद का महीना लगते ही सिक्षा जगत से जुड़े छात्रों व गुरुजनों में उत्साह भर जाया करता था. दोनों ही वर्ग बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे शालीनता और हुडदंग की मस्तियों से भरे त्यौहार चौक च्यानणी का. चार दिन तक सभी विद्यार्थी मौज उड़ाते और रोज उन्हें लड्डू खाने को मिलते. घरों की पोली के आगे विभिन्न देवों का स्वांग रचाए बालक टेर लगाते ' चौक च्यानणी भादुड़ो दे दे माई लाडूड़ो.' बालकों को लड्डू खिलाये जाते और गुरुजनों को भेंट व नारियल समर्पित कर उनके प्रति कृतज्ञता व गुरु भक्ति प्रदर्शित की जाती. इस दौरान झांकियों के साथ साथ नगर से जुड़े गीत गाये जाते जिनमें नगर की परम्पराओं का लालित्यपूर्ण वर्णन होता था. धीरे धीरे समय गुजरने के साथ साथ चौक च्यानणी का त्यौंहार भी कालावाशेष बन कर रह गया है . आज के बालकों के लिए चौक च्यानणी केवल किताबों तक ही सीमित हो  गयी है

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