Wednesday, October 20, 2010

वे एक मिसाल थे

फतेहपुर में श्री दुर्गादत्त भूतिया अपने जमाने के जाने माने व प्रसिद्ध वैद्य थे |  भूतिया जी औषधीय विधा के अलावा शाश्त्रीय संगीत के भी वे अच्छे ज्ञाता थे | श्री विशंभर जी गोस्वामी आपके पक्के जोडीदार थे, दोनों ही शाश्त्रीय संगीत में माहिर थे | लोग बाग़ इन दोनों का संगीत सुनने को बेताब रहा करते थे |

दुर्गादत्त जी  फतेहपुर नगर पालिका के पार्षद भी थे | उस जमाने में नगर की सफाई व कचरा उठाने की व्यवस्था भैंसा गाड़ी से की जाती थी और भैसा गाडी की व्यवस्था करने वाले भैसों के चारे व ग्वार में कमीशन खाया करते थे | इस ढंग की बातें जब भातरा जी की नजर में आई तो उन्होने उसी क्षण नगर पालिका की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया | उक्त घटना आज भी नगर के राजनीतिक क्षेत्र में एक मिसाल के रूप में सुनाई जाती है | 

Sunday, October 3, 2010

पुराणी पढाई

 फतेहपुर में पहले पौशालाओं (पाठशाला) में मारजा पद्धति से पढाई कराई जाति थी | तत्कालीन अध्यापकों के लिए यह अत्यंत आवश्यक था क़ि उकी 'वाणिकी' तथा 'गणित' की जानकारी बहुत पुख्ता होनी चाहिए, क्योंकि दोनों ही विषयों का वास्ता हिसाब-किताब से था | गणित की पुस्तक में 'लीलावती' के सवाल बहुत कठिन मने जाते थे | पर आज भी जिन्होंऩे 'लीलावती' पढ़ रखी है, उन्हें आधुनिक यन्त्र केलक्युलेटर की आवश्यकता नहीं पड़ती है | गुरुजनों की परीक्षा लेने के लिए उनसे भी नीचे लिखित प्रकार के प्रश्न पूछे जाते थे | आप भी अपनी बुद्धिमता का परीक्षण कीजिये :-
1. एक समय वृषभानुसुता, मुक्तामल टूटी  सेज रहये सैंतीस, अर्थ धरणी पर छूटी
भागन भये नौ अंश, सखी ऩे पांचवा भाग चुराया मोहे हाथ लगा तिरसठ, सखी को सत्तर पाया
भणत पुरातन सुंदरी, सुणियो सज्जनहार नौसंन्दे ऩे बूझियो, कित्तै मोतियन को हार

2. एक समय की बात है चंद्रमुखी एक नार दर्पण में मुख देखकर करे नार सिणगार
करे नार सिणगार हार कूं अपने कंठ जचाया देख हार अपरसण किन्य झट-पट तोड़ बगाया
चालीस मोती पद्य गोद में अंचल गिरया सवाया तीज भाग पद्य भूमि पर हिस्सा नौ का पता न पाया 
हार में आधा अटका सेज में पन्द्रहा पटक्या हिसाब का यह परवाना कितने मोती हर बीच
जल्दी हमें बताना |