Sunday, October 3, 2010

पुराणी पढाई

 फतेहपुर में पहले पौशालाओं (पाठशाला) में मारजा पद्धति से पढाई कराई जाति थी | तत्कालीन अध्यापकों के लिए यह अत्यंत आवश्यक था क़ि उकी 'वाणिकी' तथा 'गणित' की जानकारी बहुत पुख्ता होनी चाहिए, क्योंकि दोनों ही विषयों का वास्ता हिसाब-किताब से था | गणित की पुस्तक में 'लीलावती' के सवाल बहुत कठिन मने जाते थे | पर आज भी जिन्होंऩे 'लीलावती' पढ़ रखी है, उन्हें आधुनिक यन्त्र केलक्युलेटर की आवश्यकता नहीं पड़ती है | गुरुजनों की परीक्षा लेने के लिए उनसे भी नीचे लिखित प्रकार के प्रश्न पूछे जाते थे | आप भी अपनी बुद्धिमता का परीक्षण कीजिये :-
1. एक समय वृषभानुसुता, मुक्तामल टूटी  सेज रहये सैंतीस, अर्थ धरणी पर छूटी
भागन भये नौ अंश, सखी ऩे पांचवा भाग चुराया मोहे हाथ लगा तिरसठ, सखी को सत्तर पाया
भणत पुरातन सुंदरी, सुणियो सज्जनहार नौसंन्दे ऩे बूझियो, कित्तै मोतियन को हार

2. एक समय की बात है चंद्रमुखी एक नार दर्पण में मुख देखकर करे नार सिणगार
करे नार सिणगार हार कूं अपने कंठ जचाया देख हार अपरसण किन्य झट-पट तोड़ बगाया
चालीस मोती पद्य गोद में अंचल गिरया सवाया तीज भाग पद्य भूमि पर हिस्सा नौ का पता न पाया 
हार में आधा अटका सेज में पन्द्रहा पटक्या हिसाब का यह परवाना कितने मोती हर बीच
जल्दी हमें बताना |

2 comments:

  1. भौत जोर की बातां ल्याया सा :) घणो घणो धन्यवाद !!

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  2. म्हणे आ सूचना घाणी चोकी लागी ,
    थार कण कोई किताब ह काई ?

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